नई दिल्ली/कोलकाता/मुंबई। सरकार और कांग्रेस के हमलों से आहत अन्ना हजारे ने अपनी शर्ते और कड़ी कर दीं। उन्होंने रविवार को दो टूक कहा अब 16 अगस्त से शुरू होने वाला उनका आमरण अनशन तब तक जारी रहेगा, जब तक सरकार अपने आरोप साबित नहीं कर देती या फिर बेबुनियाद आरोपों के लिए देश से माफी नहीं मांग लेती। सरकार को ललकारने हुए यह भी कह डाला कि गांधीगिरी से बात नहीं बनती तो शिवाजी को याद कर लेता हूं।
अन्ना ने सरकार को चुनौती देते हुए कहा, उसके आरोपों में दम हो तो वह एफआइआर दर्ज करे और आरोपों को साबित करके दिखाए। उन्होंने कहा, उनके संस्थानों की जांच खुद उनकी ही पहल पर हुई थी। सरकार पर बदले की मानसिकता से काम करने का आरोप लगाते हुए कहा, 'पिछले दिनों सरकार ने आठ चार्टर्ड एकाउंटेंट का दल मेरे गांव भेजा था। उसने कई दिनों तक सारे कागजों की जांच की। सारे कागजात की फोटो कॉपी करके ले गए। हालाकि जांच में उन्हें कुछ गड़बड़ी नहीं मिल सकी। बावजूद इसके सरकार झूठे आरोप लगाने से पीछे नहीं हट रही।'
केंद्रीय दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल की ओर से उठाये सवालों पर अन्ना ने कहा,'अगर मुझे संविधान नहीं पता, तो क्या मैं अब उनसे सीखने जाऊंगा।' सिब्बल ने रविवार को ही कहा था कि अन्ना को संविधान की जानकारी नहीं। प्रधानमंत्री को लिखी चिट्ठी की भाषा पर केंद्र सरकार की आपत्ति को सिरे से खारिज करते हुए अन्ना ने कहा, यह सवाल वे लोग उठा रहे हैं, जिन्होंने गांधी की शब्दावली को नहीं पढ़ा। एक सवाल के जवाब में उन्होंने यह भी कहा,वे गांधी से प्रेरित जरूर हैं, लेकिन जब गांधी की जुबान से काम नहीं चलता तो क्षत्रपति शिवाजी को भी याद कर लेते हैं। अन्ना के अनशन की जगह को ले कर अरविंद केजरीवाल ने कहा, 16 अगस्त की सुबह दस बजे से लोग दिल्ली के जय प्रकाश पार्क पहुंचेंगे। अब यह पुलिस के ऊपर है कि वह या तो इन्हें शांतिपूर्ण तरीके से बैठने दे या फिर गिरफ्तार कर ले। उन्होंने कहा कि समय और लोगों की सीमा को छोड़ कर दिल्ली पुलिस की बाकी शर्तो को मान कर उन्हें सूचित कर दिया जाएगा।
जेपी पार्क में नहीं हो पाएगा अनशन!
अनशन को लेकर टीम अन्ना और दिल्ली पुलिस में टकराव के आसार बढ़ गए हैं। दिल्ली पुलिस ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया है कि बिना शपथपत्र दिए किसी सूरत में अन्ना को जयप्रकाश नारायण पार्क में अनशन पर बैठने नहीं दिया जाएगा।
वहीं टीम अन्ना का कहना है कि समय सीमा और अनशन में शामिल लोगों की संख्या पर पाबंदी उसे बर्दाश्त नहीं। टीम अन्ना किसी भी सूरत में 16 अगस्त को जेपी पार्क में अनशन पर अमादा है वहीं पुलिस ने भी साफ कर दिया है कि बिना अनुमति अनशन पर गिरफ्तारी भी संभव है।
रविवार को दिन भर दिल्ली पुलिस के आला अधिकारी 'आपरेशन अन्ना' की रणनीति बनाने में जुटे रहे। इस कड़ी में जेपी पार्क सील कर दिया गया। हालांकि इसकी वजह स्वतंत्रता दिवस समारोह में आने वाले वीवीआइपी के लिए लगने वाला रूट बताया गया है, लेकिन पार्क से सटा शहीदी पार्क जस का तस है। इससे पुलिस का खेल साफ समझा जा सकता है।
दिल्ली पुलिस ने अन्ना हजारे के जंतर मंतर पर अनशन करने की मांग को इस आधार पर खारिज कर दिया था कि संसद सत्र के कारण वहां अनशन की अनुमति नहीं दी जा सकती है। बाद में टीम अन्ना की तरफ से बोट क्लब, जंतर मंतर, राजघाट, शहीदी पार्क व रामलीला मैदान समेत पांच स्थानों पर अनशन की अनुमति मांगी गई थी, लेकिन दिल्ली पुलिस की तरफ से फिरोजशाह कोटला मैदान के समीप स्थित जय प्रकाश नारायण नेशनल पार्क सुझाते हुए टीम अन्ना से वहां अनशन करने को कहा था।
हजारे को भ्रष्टाचार का दोषी ठहराया: सावंत
न्यायमूर्ति [सेवानिवृत्त] पीबी सावंत ने रविवार को कहा कि उनकी जांच में अन्ना हजारे के ट्रस्ट से उनके जन्मदिन समारोह में खर्च के लिए 2.2 लाख रुपये की राशि लिए जाने की बात भ्रष्टाचार के समान है।
सावंत ने टीवी चैनलों से कहा कि इस ट्रस्ट से उनके अपने समारोह के लिए 2.2 लाख रुपये की राशि ली गई थी। यह साबित हो चुका है और हजारे ने इससे इंकार नहीं किया है। आप ट्रस्ट के धन का इस्तेमाल अपने निजी मकसद से नहीं कर सकते। यह भ्रष्टाचार के समान है। उन्होंने कहा कि यह केवल भ्रष्टाचार है जो साबित हो चुका है, इससे ज्यादा कुछ नहीं है। सावंत से जब उनकी रिपोर्ट पर कांग्रेस के रुख पर टिप्पणी मांगी गई तो उन्होंने यह बयान दिया।
प्रणब मुखर्जी ने भी अन्ना पर बोला हल्ला
जन लोकपाल पर अनशन की जंग में यूपीए सरकार और समाजसेवी अन्ना हजारे के बीच सीधी भिड़ंत का मोर्चा खुल गया है। मंगलवार से अनशन पर जाने वाले अन्ना के खिलाफ मुहिम छेड़ते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब ने भी रविवार को हल्ला बोल दिया। मुखर्जी ने आरोप लगाया कि वह संविधान और संसद को 'चुनौती' दे रहे हैं और यह कदम 'स्वीकार्य' नहीं है।
मुखर्जी ने कोलकाता में कहा कि जहा तक संविधान का सवाल है तो कानून बनाने का काम सरकार का है ना कि किसी तीसरी शक्ति का। कोई भी इस बात के लिए मजबूर नहीं कर सकता कि कानून उसकी इच्छा के अनुसार बने। यह फैसला करने का काम संसद का है।
अन्ना हजारे ने 16 अगस्त को शुरू होने वाले अपने अनशन के लिए दिल्ली पुलिस द्वारा लगाई शर्तो पर प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप का आग्रह किया था, जिससे किनारा करते हुए पीएम ने उन्हें दिल्ली पुलिस के पास जाने को कहा है। मुखर्जी ने कहा कि अन्ना हजारे जो कर रहे हैं, वह संसद की संवैधानिक सत्ता को चुनौती देने जैसा है जिसे स्वीकार्य नहीं किया जा सकता।
अपने प्रस्तावित अनशन पर लगाई पाबंदी को लेकर हजारे के विरोध के संबंध में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हमने अन्ना को एक जगह मुहैया कराई है। वह इसे पसंद या नापसंद कर सकते हैं, लेकिन तथ्य यह है कि कुछ जगह हैं, जहा हम लोगों को जमा होने की इजाजत नहीं देते जैसे कोलकाता में राइटर्स बिल्डिंग और विधानसभा जहा धारा-144 लागू है।
अन्ना हजारे के अनशन को लेकर सरकार के कड़े रुख को दर्शाते हुए केंद्रीय मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा कि हमें आमरण अनशन जिसके कानूनी नतीजे को मैं नहीं जानता के संबंध में इस बात को ध्यान में रखना होगा कि किसी को भी हमारा कानून आत्महत्या की इजाजत नहीं देता। इन पहलुओं को देखना प्रशासन का काम है।
दिल्ली पुलिस ने हजारे को अपना अनशन तीन दिन और भीड़ को 5000 तक सीमित करने को कहा है जिसकी आलोचना करते हुए हजारे ने प्रधानमंत्री के हस्तक्षेप की अपील की। मुखर्जी ने कहा कि कानून बनाने के लिए केवल संसद ही सक्षम संस्था है।
तो अन्ना पर कार्रवाई क्योंनहीं की महाराष्ट्र सरकार ने
अन्ना को घेरने के लिए केंद्र और कांग्रेस आज जिस सावंत आयोग की रिपोर्ट का इस्तेमाल कर रही हैं, वह रिपोर्ट कांग्रेसनीत सरकार के कार्यकाल मेंहीपेश हुई थी। इसके बावजूद मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख अथवा उनके बाद आए मुख्यमंत्रियों ने अन्ना पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं की, यह अपने आप में एक बड़ा सवाल है।
अन्ना हजारे द्वारा सन् 2003 में विलासराव देशमुख सरकार के चार मंत्रियों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया था। बदले में उनमें से एक मंत्री सुरेशदादा जैन ने भी अन्ना हजारे पर समाजसेवा की आड़ में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया।
तत्कालीन सरकार ने इस प्रकार दोनों पक्षों की ओर से लग रहे आरोपों की जांच के लिए कमीशन आफ इन्क्वायरी एक्ट, 1952 के तहत 1 सितंबर, 2003 को सुप्रीम कोर्ट के अवकाशप्राप्त न्यायाधीश पी.बी.सावंत की अध्यक्षता में एक जांच आयोग का गठन किया।
इस आयोग ने 23 फरवरी, 2005 को अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी, जिसमें अन्ना द्वारा आरोपित चार में से तीन मंत्रियों को भ्रष्टाचार एवं कुप्रशासन का दोषी पाया। साथ ही, इस रिपोर्ट में अन्ना हजारे एवं उनके ट्रस्ट की अनियमितताओं पर भी उंगली उठाई गई।
आयोग की इसी रिपोर्ट के बाद दो मंत्रियों सुरेशदादा जैन एवं नवाब मलिक को अपने पद से नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देना पड़ा था, लेकिन अन्ना हजारे इस्तीफा मात्र से संतुष्ट नहीं थे। वह इन मंत्रियों पर कानूनी कार्रवाई भी चाहते थे। इसलिए आयोग की रिपोर्ट पर राय देने एवं कार्रवाई सुझाने के लिए तत्कालीन सरकार ने एक तीन सदस्यीय टास्क फोर्स का गठन किया गया।
डी. एम. सुकथनकर समिति नामक इस टास्क फोर्स में पूर्व महापालिका आयुक्त सुकथनकर के अलावा कानून मंत्रालय से अवकाशप्राप्त प्रधानसचिव प्रतिमा उमरजी एवं मुंबई हाईकोर्ट के अवकाशप्राप्त न्यायाधीश एबी पालकर शामिल थे।
इस समिति को कोई वैधानिक अधिकार प्राप्त नहीं थे। कुछ ही महीनों में आ गई सुकथनकर समिति की रिपोर्ट में सावंत कमीशन द्वारा सभी मंत्रियों सहित अन्ना हजारे पर लगाए गए आरोपों को कार्रवाई करने लायक गंभीर आरोप न मानते हुए मात्र प्रशासनिक ढील करार देकर सभी को क्लीन चिट दे दी थी।
अन्ना तब इस क्लीन चिट का विरोधकरते हुए पुन: अनशन पर बैठ गए थे। उनका तर्क था कि एक सुप्रीम कोर्ट के एक पूर्व न्यायाधीश की जांच रिपोर्ट पर किसी और समिति का विचार लेने की आवश्यकता ही क्या थी।
अन्ना ने सावंत कमीशन की रिपोर्ट के आधार पर ही दोषी बताए गए मंत्रियों के साथ-साथ स्वयं पर भी कार्रवाई करने की चुनौती तत्कालीन सरकार को दी थी, लेकिन सरकार ने ऐसा करने के बजाय इस मामले में राय लेने के लिए तत्कालीन महाधिवक्ता रवि कदम की अध्यक्षता में एक और समिति गठित कर दी। न तो इस समिति की रिपोर्ट अभी तक आ सकी है, न ही सावतं आयोग द्वारा दोषी माने गए तत्कालीन मंत्रियों एवं अन्ना हजारे पर कोई कानूनी कार्रवाई अब तक हो सकी है।
सावंत आयोग की रिपोर्ट
-अन्ना हजारे के हिंद स्वराज ट्रस्ट ने उनके जन्मदिन पर 2.20 लाख रुपये खर्च किए। ट्रस्ट को यह राशि अभय फिरौदिया नामक एक व्यवसायी ने दान की थी। रिपोर्ट के अनुसार यह राशि जन्मदिन पर खर्च करने का अधिकार ट्रस्ट को नहीं था ।
-हिंद स्वराज ट्रस्ट पर दूसरा आरोप यह था कि उसने चैरिटी कमिश्नर की पूर्वानुमति के बिना 89 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया और बाद में इसी भूखंड में से 11 एकड़ भूमि जिला परिषद को उपहार स्वरूप दे दी।
-अन्ना पर तीसरा आरोप है कि उन्होंने ट्रस्ट के लिए कुछ लोगों की गैरकानूनी नियुक्तियांकीं और इस प्रकार नियुक्त लोगों द्वारा ट्रस्ट के नाम पर इकट्ठा किए गए धन का हिसाब नहीं दिया गया।
-अन्ना पर सावंत कमीशन का एक आरोप था कि उनके ट्रस्ट ने 1998 से 2002 के बीच की लेखापरीक्षित रिपोर्ट चैरिटी कमिश्नर को नहीं सौंपी। धन का सही हिसाब नहीं रखा गया ।
-ट्रस्ट का खाता शेडयूल्ड बैंक में न खोलने पर भी अन्ना के ट्रस्ट को कटघरे में खड़ा किया था ।