कौन-सा मोड़ लेगा अन्ना का आंदोलन?
अन्ना हजारे का अनशन दसवें दिन में प्रवेश कर गया और उनके हजारों समर्थकों ने उनकी कुशलक्षेम के लिए प्रार्थना की. हजारे समर्थक रातभर बड़ी संख्या में रामलीला मैदान में डटे रहे और देशभक्ति गीत गाते रहे तथा सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते रहे.
जन लोकपाल विधेयक को संसद में पारित करने की मांग को लेकर 16 अगस्त से अनशन कर रहे 73 वर्षीय हजारे को समर्थन देने के लिए विभिन्न क्षेत्रों और धर्मों के लोगों का तांता लगा रहा. एक मंदिर और मस्जिद से युक्त मैदान में अन्ना समर्थक सरकार विरोधी पोस्टर बनाकर उन्हें दीवारों पर लगाते रहे.
अन्ना हजारे पक्ष और सरकार के प्रतिनिधियों के बीच पिछले 24 घंटों के दौरान हुई बातचीत बुधवार रात अचानक ऐसे मोड़ पर पहुंच गई जहां लगा कि मतभेद और गहरा गए और सरकार ने एक कदम आगे बढ़ाया तो तीन कदम पीछे खींच लिए.
यह इसलिए हुआ कि केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी से हुई बातचीत के बाद टीम अन्ना ने सरकार के खिलाफ जमकर आग उगला और उसके बाद सफाई देने के लिए खुद मुखर्जी को रात के साढ़े बारह बजे सामने आना पड़ा, जिसमें उन्होंने कहा कि उनकी बातों को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया. बहरहाल, साफ शब्दों में कहा जाए तो दोनों पक्षों के बीच सम्भवत: विश्वास की कमी के चलते वार्ता विफल हो गई और गतिरोध बरकरार है. इसके बावजूद दोनों पक्ष वार्ता जारी रखने को तैयार हैं.
सरकार अब प्रधानमंत्री को इस बिल के दायरे में लाने पर राजी हो गई है. संसद में सांसदों के व्यवहार को इस बिल के दायरे में लाने पर सरकार थोड़े फेरबदल के साथ राजी हो गई है. भ्रष्टाचार के मामलों को सीबीआई की एंटी करप्शन यूनिट की बजाय जन लोकपाल के दायरे में लाया जाए, सरकार इस पर भी राजी है.
टीम अन्ना न्यायपालिका को भी जन लोकपाल के दायरे में लाना चाहती है, जबकि सरकार इस पर अलग बिल पेश करने के मूड में है. दोनों पक्ष अब सहमत हैं कि जन लोकपाल के साथ ही सरकार इस नए बिल को पेश करे और पास कराए.
समझौते का पेच अब अटका है सिर्फ तीन मुद्दों पर. इन मुद्दों पर विचार करने के लिए सरकार ने बुधवार सुबह तक का वक्त मांगा है. अब टीम अन्ना ही नहीं, बल्कि सरकार भी बेचैन है कि मामला जल्द से जल्द सुलझे, ताकि अन्ना की सेहत और बिगड़ने से पहले बात बन जाए.
उधर टीम अन्ना ने भी बातचीत के संकेत दिए लेकिन साथ ही यह भी कहा कि सरकार सीधे सीधे बात करे. इस आंदोलन ने आम लोगों का ये भ्रम दूर कर दिया है कि आंदोलन सिर्फ पुलिस से झड़प और गला फाड़ नारेबाज़ी का नाम है. रामलीला मैदान में बीती रात जो नज़ारा था, वो किसी उत्सव या मेले से कम नहीं था.
अन्ना के आंदोलन के छठे दिन सरकार ने लोकपाल मुद्दे पर गतिरोध तोड़ने की कोशिश के तहत अन्ना हजारे के पास रविवार रात एक प्रस्ताव भेजा लेकिन ‘टीम अन्ना’ ने इसे यह कहते हुए खारिज कर दिया कि इसमें नया कुछ भी नहीं है. दरअसल, सरकार ने पिछले दरवाजे से हजारे तक पहुंचने के बाद यह प्रस्ताव भेजा.गौरतलब है कि जन लोकपाल विधेयक की मांग को लेकर हजारे छह दिनों से अनिश्चितकालीन अनशन पर हैं. महाराष्ट्र के शीर्ष नौकरशाह अतिरिक्त मुख्य सचिव उमेश चंद्र सारंगी ने सामाजिक कार्यकर्ता हजारे से दो बार मुलाकात की.
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रामलीला मैदान पर रविवार सुबह टीम अन्ना की कोर समिति की बैठक हुई, जिसमें प्रशांत भूषण, शांतिभूषण, अरविंद केजरीवाल, स्वामी अग्निवेश और किरण बेदी मौजूद ने गंभीर चर्चा की. टीम अन्ना सरकार से बात करने के लिए तैयार है, पर सरकार की ओर से अबतक बातचीत की पहल नहीं की गई है.
अन्ना हजारे की टीम ने यह दावा भी किया कि सरकार चाहे तो 30 अगस्त तक जन लोकपाल बिल पास हो सकता है, लेकिन सरकार ने हाथ खड़े कर दिए हैं.
सरकार द्वारा पेश लोकपाल बिल फिलहाल देश भर से सुझाव हासिल करने के लिए संसद की स्थायी समिति के पास भेजा गया है, लेकिन स्थायी समिति के चेयरमैन राज्यसभा सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने भी साफ कह दिया है कि 30 अगस्त तक देश भर से जनता का मत लेना, उसे बिल में शामिल कर संसद में पेश करना मुमकिन नहीं होगा. बहरहाल, पूरे देश की निगाहें इस आंदोलन की ओर टिकी हुई हैं.