देश से भ्रटाचार खत्म करने और जन लोकपाल विधेयक के समर्थन में मशहूर सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे स्वतंत्रता दिवस के अगले दिन यानी 16 अगस्त को एक बार फिर अनशन पर बैठने वाले हैं, लेकिन सत्ता पक्ष उन्हें घेरने की पूरी तैयारी में जुट गई है। दरअसल, पीबी सावंत आयोग ने वर्ष 2005 में अन्ना हजारे और उनसे जुड़े लोगों की ओर से महाराष्ट्र में संचालित 10 अलग-अलग ट्रस्टों के कामकाज की जांच की थी।
आयोग ने इन ट्रस्टों में दोषपूर्ण प्रशासन, कामकाज के गैर-कानूनी तरीके अपनाए जाने और अनियमितता का आरोप लगाया था। आयोग ने इस मामले में हजारे को क्लीन चिट नहीं दी थी, बल्कि उन्हें भ्रष्ट आचरण अपनाने का दोषी करार दिया था। अब चारों तरफ से भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी केंद्र और महाराष्ट्र की सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस को हजारे के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए सावंत आयोग की रिपोर्ट का बना-बनाया बहाना मिल गया है।
आयोग ने कुल 379 पृष्ठों की रिपोर्ट तैयार की है, जिनमें से 123 पृष्ठों में अन्ना हजारे की ओर से संचालित या उनसे जुड़े ट्रस्टों के खिलाफ शिकायतों, भ्रष्टाचार और गैरकानूनी गतिविधियों का जिक्र किया गया है। इसके बाद महाराष्ट्र सरकार ने पूर्व मुख्य सचिव डीएम सुखतानकर की अध्यक्षता में एक अन्य समिति का गठन किया था। इस समिति ने भी सरकार से जरूरी कार्रवाई करने की सिफारिश की थी। यही वजह है कि कांग्रेस पार्टी ने आज हजारे से कहा है कि वे अपने और अपने ट्रस्टों पर लगाए गए आरोपों का जवाब दें। इस मसले पर टिप्पणी के लिए हजारे से कई बार संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन वह उपलब्ध नहीं हो सके।