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Thursday, 11 August 2011

अनशन एक मात्र रास्‍ता, जेपी पार्क के लिए मिली इजाजत


नई दिल्‍ली. दिल्ली पुलिस ने अन्ना को 16अगस्त से लोकपाल बिल के खिलाफ अनशन के लिए आईटीओ के पास जयप्रकाश नारायण नेशनल पार्क का नाम सुझाया है। यह पार्क फिरोजशाह कोटला मैदान के पास स्थित है। पुलिस ने कहा है कि अन्ना को इस पार्क की मालिक एजेंसी (सीपीडब्ल्यूडी) से मंजूरी लेनी होगी। उधर, टीम अन्ना का कहना है कि पुलिस की ओर से उन्हें अभी इस बारे में कोई आधिकारिक जानकारी नहीं मिली है। इंडिया अगेंस्ट करप्शन की प्रवक्ता अश्वथी मुरलीधरन ने कहा कि पत्र मिलते ही सबसे पहले टीम अन्ना इस स्थान की रेकी करेगी। उसके बाद ही पार्क को अनशन स्थल के रूप में चुने जाने पर फैसला होगा। हालांकि टीम अन्‍ना के एक सदस्‍य अरविंद केजरीवाल ने मीडिया को बताया है कि अगर पुलिस उन्‍हें यह जगह सुझाती है,तो मंजूर होगा।

इससे पहले पुलिस ने अन्ना को जंतर-मंतर पर अनशन की अनुमति देने से इनकार कर दिया था। इसके बाद टीम अन्ना ने पुलिस को अनशन स्थल के तौर पर रामलीला मैदान समेत कई विकल्प सुझाए। इन लोगों ने बोट क्लब, राजघाट, रामलीला मैदान या शहीद पार्क में अनशन के लिए जगह मांगी थी। पुलिस ने स्थान तय करने के लिए दो दिन मांगे थे। बुधवार शाम पुलिस ने स्थान की जानकारी दी। 
अन्‍ना हजारे ने कड़े तेवर दिखाए हैं। उनके सहयोगी ने भी साफ कर दिया कि सरकार मजबूत लोकपाल लाने के पक्ष में नहीं है और ऐसे में अनशन ही एक मात्र रास्‍ता रह गया है। 
 अन्ना ने कहा कि देश की जनता यह समझ चुकी है कि मौजूदा सरकार भ्रष्‍टाचार से लड़ने में सक्षम नहीं है। उनके साथ मौजूद अरविंद केजरीवाल ने कहा कि सरकार ने लोकपाल बिल का जो मसौदा सदन में पेश किया है, उस पर चर्चा कर समय की बर्बादी के सिवा कुछ हासिल नहीं होगा। अब अनशन ही एक मात्र रास्‍ता है। 
हालांकि कांग्रेस ने टीम अन्‍ना को एक बार फिर बातचीत के मंच पर लाने में कामयाबी पा ली। टीम अन्‍ना बुधवार को अपनी बात रखने के लिए संसद की स्‍थायी समिति (कानून और न्‍याय मामले की) के सामने पहुंची। इस समिति के अध्‍यक्ष अभिषेक मनु सिंघवी हैं।
समिति के समक्ष टीम अन्ना ने आज मांग की कि सरकार को वर्तमान लोकपाल बिल को वापस लेना चाहिए। इसकी जगह नए बिल को लाना चाहिए। क्योंकि सरकार का बिल भ्रष्टाचार रोकने में कामयाब नहीं होगा। संसदीय समिति के सामने पेश होने के बाद अन्ना हजारे ने कहा कि समिति जनलोकपाल बिल और सरकार के लोकपाल बिल का अध्ययन करेगी। उन्होंने कहा, यदि वर्तमान बिल वापस नहीं लिया गया तो 16अगस्त से अनशन होगा। मेरा उपवास सरकार के खिलाफ है। संसद के खिलाफ नहीं। हालांकि उन्होंने यह बताने से इनकार कर दिया कि समिति के साथ ढाई घंटे की बैठक में क्या बात हुई।
टीम अन्‍ना की मुख्‍य मांग है कि प्रस्‍तावित लोकपाल बिल के दायरे में प्रधानमंत्री और न्‍यायपालिका को भी रखा जाए। यह मांग मनवाने के लिए अन्‍ना हजारे और उनके समर्थक देश भर में आंदोलन कर रहे हैं और 16 अगस्‍त से अनशन भी करने वाले हैं। लेकिन इससे पहले एक बार उन्‍हें बातचीत में शामिल करने की कांग्रेस की कोशिश को आंदोलन कमजोर करने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है। सूत्र बताते हैं कि इस पहल से यह संदेश देने की भी कोशिश होगी कि सरकार टीम अन्‍ना की मांग पर सख्‍त रुख अपनाए नहीं बैठी है, बल्कि बातचीत का रास्‍ता अपना रही है।
 
लोकपाल बिल सरकार की ओर से लोकसभा में पेश किया जा चुका है। मंगलवार को निर्दलीय सांसद राजीव चंद्रशेखर ने राज्‍यसभा में भी इसे पेश किया। टीम अन्‍ना सरकार पर आरोप लगाती रही है कि वह मजबूत लोकपाल लाने के पक्ष में नहीं है और इसके लिए उनके आंदोलन को भी कमजोर करना चाहती है। 
इस बीच,पुणे के चैरिटी कमिश्‍नर ने अन्‍ना हजारे के हिंद स्‍वराज ट्रस्‍ट को क्‍लीन चिट दे दी है। राष्‍ट्रीय भ्रष्‍टाचार विरोधी जनशक्ति के अध्‍यक्ष हेमंत पाटिल ने 26अप्रैल को ट्रस्‍ट के खिलाफ शिकायत की थी। शिकायत में वित्‍तीय अनियमितता का आरोप लगाया गया था। पर असिस्‍टेंट चैरिटी कमिश्‍नर एनवी जगताप ने जांच के बाद ट्रस्‍ट को सभी आरोपों से बरी कर दिया। 
आपकी राय
क्‍या संसदीय समिति के सामने अपनी बात रखने के लिए टीम अन्‍ना को बुलाया जाना सरकार की ईमानदार कोशिश कही जा सकती है या फिर यह एक चाल भर है? क्या समिति अन्‍ना के सुझावों पर गौर करेगी? अगर नहीं, तो क्‍या अनशन के बल पर अन्‍ना अपनी बात मनवा पाएंगे? 

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