नई  दिल्ली: लोकपाल बिल का भविष्य आज तय नहीं हो पाएगा, क्योंकि स्टार न्यूज़ से  सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक शाम को कैबिनेट की बैठक में इस बिल पर चर्चा  नहीं होगी.
सूत्रों का  मुताबिक इस बिल का परिवर्तित ड्राफ्ट तैयार नहीं है और ऐसे में कल शाम या परसों  सुबह इस बिल पर चर्चा के लिए कैबिनेट की बैठक बुलाई जा सकती है.
इस बिल में विवाद  की सबसे बड़ी जड़ सीबीआई है और अब सवाल यह ही है कि कैबिनेट सीबीआई को लेकर क्या  फैसला करती है. इस बीच अन्ना हजारे ने प्रधानमंत्री पर ही वादाखिलाफी का आरोप जड़  दिया है. अन्ना ने प्रधानमंत्री की नीयत पर सवाल खड़ा करते हुए कहा है कि सरकार इस  बिल को लेकर टालमटोल का रवैया अपना रही है.
दूसरी ओर  प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने ये कहकर साफ कर दिया है कि कैबिनेट जब आज बैठेगी तो  लोकपाल बिल के ड्राफ्ट पर बात तो ज़रूर होगी, लेकिन अभी भी ये सस्पेंस बना हुआ है  कि आखिर अन्ना हजारे को मनाने के लिए मनमोहन सिंह कितना झुकेंगे और किन-किन मुद्दों  पर झुकेंगे.
स्टार न्यूज को  जानकार सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक सरकार लोकपाल के दायरे में प्रधानमंत्री  के पद को लाने पर राजी हो सकती है, लेकिन यह फैसला कुछ शर्तों के साथ होगा.
'बात बन सकती  है'
टीम अन्ना के अहम  सदस्य अरविंद केजरीवाल ने स्टार न्यूज़ के कार्यक्रम में संकेत दिए कि इस पर बात बन  सकती है.
अन्ना को मनाने  के लिए ग्रुप 'सी' के कर्मचारियों को लोकपाल के दायरे में लाया जाना भी तय लग रहा  है.
लोकपाल में  अनुसूचित जाति, जनजाति, ओबीसी, अल्पसंख्यक, महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण दिया जा  सकता है. टीम अन्ना को भी आरक्षण देने पर एतराज़ नहीं है.
लोकपाल और  सदस्यों के चयन का जिम्मा पीएम, लोकसभा स्पीकर, विपक्ष के नेता, चीफ जस्टिस या उनकी  ओर से नियुक्त जज और राष्ट्रपति की ओर से नामाँकित कोई गणमान्य व्यक्ति के पैनल को  सौंपा जा सकता है.
लोकपाल को हटाने  के लिए कुछ प्रक्रिया अपनाई जा सकती है कि 100 सांसद राष्ट्रपति को शिकायत लिखकर  दें, राष्ट्रपति सुप्रीम कोर्ट को याचिका बढ़ाएं और सुप्रीम कोर्ट का फैसला लोकपाल  या सदस्य के खिलाफ हो तो उसे हटाया जा सकता है. साथ ही लोकपाल संसद के प्रति  जवाबदेह होगा.
जन-शिकायतों के  लिए जो बिल आना है उसमें लोकपाल को दूसरी संस्था बनाई जा सकती है जहां लोग अपील कर  सकें. लोकपाल बिल से ही राज्यों में लोकायुक्तों की नियुक्ति की बात पहले ही मानी  जा चुकी है.
सीबीआई का  सवाल
सबसे बड़ा सवाल  सीबीआई को लेकर फंसा हुआ है. सर्वदलीय बैठक में भी पार्टियों के बीच एक राय नहीं थी  कि लोकपाल के तहत सीबीआई को लाया जाए या नहीं. सरकार सीबीआई लोकपाल को देना नहीं  चाहती और टीम अन्ना का कहना है कि सीबीआई ही लोकपाल की आत्मा है.
टीम अन्ना की  मांग है कि सीबीआई निदेशक की नियुक्ति की प्रक्रिया भी वही हो जो लोकपाल की होगी  लेकिन सरकार ने मन बनाया है कि सीबीआई निदेशक की नियुक्ति प्रधानमंत्री, विपक्ष का  नेता और लोकपाल का पैनल करे. अन्ना ने भी प्रधानमंत्री को चिट्टी लिखकर कहा है कि  अगर सीबीआई नहीं तो किसी काम का नहीं होगा लोकपाल.
लोकपाल को लेकर  अन्ना हजारे का रुख लगातार सख्त होता जा रहा है. कैबिनेट की बैठक से ठीक एक दिन  पहले अन्ना हजारे ने सरकार को चेतावनी भी दे दी और अपनी मंशा भी जता दी है.
अन्ना ने शनिवार  को प्रधानमंत्री को एक चिट्ठी भी लिखी है इस उलाहने के साथ कि आपने वादाखिलाफी की.  अन्ना ने चिट्ठी लिखकर प्रधानमंत्री को बता दिया कि संसद में लोकपाल नहीं आया तो 27  दिसबंर से अनशन होकर रहेगा.



